वायु जब हमारे शरीर के अंदर आती है तो हम लोग भी जीवित रहते हैं. जब शरीर से प्राणवायु निकल जाती है तो परिवार जन या डॉक्टर हमें मृत घोषित कर देते हैं. इस प्राणवायु के अनेको नाम है जैसे :- प्राण , वायु, आकाश, श्वास, रूह, जान, आत्मा, आत्म शक्ति और जीवन शक्ति इत्यादि.
शरीर में प्राण होने के कारण हमलोग जीवित होते है. जिसके कारण हमलोग अपनी दिनचर्या को अच्छी तरह से जी सके. जब शरीर में पांच प्राण स्वचालित रूप से कार्य करते है तो हमारा शरीर स्वस्थ रहता है.
पांच प्रकार के प्राण
- प्राण
- अपान
- उदान
- सामान
- व्यान
प्राण:- शरीर में जो वायु कंठ से ह्रदय तक होती है उसे प्राण वायु कहते है
कार्य – यह प्राण नासिका मार्ग से होते हुए कंठ श्वसन तंत्र ह्रदय को क्रियाशीलता और शक्ति प्रदान करता है.
अपान:- शरीर में नाभि से गुदा (मलद्वार) पर्यंत रहने वाले वायु को अपान वायु कहते है.
कार्य – मूत्र, मल, अधोवायु, गर्भ का नि:सारण इसी वायु से होता है.
उदान:- शरीर में कंठ से ऊपर सिर पर्यन्त जो प्राण कार्यशील रहता है उसे उदान कहते है.
कार्य- कंठ के ऊपर सिर पर्यंत जैसे आँख, नाक और कान सभी नाड़ियों में भ्रमण कर हमें स्वस्थ रखता है और हमारे मुखमंडल को ऊर्जा और आभा प्रदान करता है.
समान:- शरीर में ह्रदय से नाभि पर्यंत क्रियाशील प्राणवायु को ‘समान’ वायु कहते है.
कार्य – यकृत, आंत, प्लीहा एवं अग्नाशय सहित सम्पूर्ण पाचन तंत्र की आंतरिक कार्य प्रणाली को नियंत्रित करता है.
व्यान:- प्राणशक्ति को पूरे शरीर में प्रेषित करता है उसे व्यान वायु कहते है.
कार्य- व्यान प्राणवायु शरीर के समस्त गतिविधियों को नियमित एवं नियंत्रित करता है. सभी अंगों, नाड़ियों और मांसपेशियों को क्रियाशील एवं ऊर्जा और शक्ति प्रदान करता है.
प्राणवायु के पाँच उपप्राण होते है
- नाग: यह पेट और आंतों के आसपास गति करता है और पाचन में मदद करता है।
- कूर्म: यह आखो के पलकों को खोलने और बंद करने में मदद करता है।
- देवदत्त: यह हृदय गति और श्वसन को नियंत्रित करता है।
- कृकला: यह गर्दन और सिर को गति प्रदान करता है।
- धनंजय: यह शरीर में सभी जोड़ों को गति प्रदान करता है।
ऊपर लिखित पांच उपप्राण है जो क्रमशः छींकना, पलक झपकना, जम्हाईं लेना, खुजलाना, हिचकी आदि क्रियाओं को संचालित करते है.
प्राणवायु को कैसे बढ़ाया जाए?
प्राणवायु को बढ़ाने के लिए हमलोग प्राणायाम कर सकते हैं. इसी प्राणायाम के माध्यम से हमारा प्राण बढ़ता है इसके लिए आपको लंबा और गहरा सांस पर सांस लेना होगा।
प्राणायाम
कपाल भाती प्राणायाम, अनुलोम विलोम प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम और भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास नित्य करें
करो प्राणायाम रहो दीर्घायु
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